रांची न्यूज डेस्क: झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता बिनोद कुमार साहू ने कहा है कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन, ग्रेच्युटी और अवकाश नगदीकरण जैसी सुविधाओं का भुगतान किसी भी हालत में नहीं रोका जा सकता, चाहे उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित ही क्यों न हो। यह कर्मचारी का वैधानिक अधिकार है, और सुप्रीम कोर्ट व हाइकोर्ट ने कई मामलों में इसका समर्थन किया है।
अधिवक्ता ने सलाह दी कि सेवानिवृत्ति से छह माह पहले से ही भुगतान प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए, ताकि सेवानिवृत्ति के दिन लाभ समय पर मिल सके। यदि पेंशन, ग्रेच्युटी या अवकाश नगदीकरण का भुगतान नहीं हुआ, तो कर्मचारी पहले विभाग के उच्चाधिकारी को लिखित आवेदन दें, आवश्यक होने पर लीगल नोटिस भेज सकते हैं। भुगतान शुरू न होने पर कर्मचारी प्रशासनिक या न्यायिक माध्यम से CAT (कर्मचारी अपील ट्रिब्यूनल) में वाद दायर कर सकते हैं।
इसके अलावा अधिवक्ता ने अलग-अलग परिस्थितियों में यह सलाह दी:
पिताजी के माध्यम से एलआईसी को लीगल नोटिस भेजें; भुगतान नहीं होने पर उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
झारखंड हाइकोर्ट ने हाल ही में TGT शिक्षक परीक्षा-2016 में गड़बड़ियों की जांच के लिए सेवानिवृत्त जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अध्यक्षता में आयोग बनाया है। आयोग काम शुरू होने के बाद लिखित आवेदन या हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की जा सकती है।
मामले के आधार पर सिविल कोर्ट में शिकायत या क्रिमिनल रिट याचिका दायर की जा सकती है।
सारांश: पेंशन, ग्रेच्युटी और अवकाश नगदीकरण आपके वैधानिक अधिकार हैं। भुगतान रोकने की कोई कानूनी अनुमति नहीं है। अगर भुगतान नहीं हो रहा, तो उच्चाधिकारी को लिखित आवेदन दें, लीगल नोटिस भेजें, और आवश्यक होने पर न्यायालय में वाद दायर करें।