रांची न्यूज डेस्क: राज्य की जेलों में लंबे समय से सहायक जेलर और जेलर के पद रिक्त रहने के कारण प्रशासन ने अस्थायी व्यवस्था अपनाई है। हालिया खबर के बाद जेल प्रशासन ने सक्रियता दिखाई है, लेकिन अधिकांश जेलों की कमान अब सिपाहियों और कक्षपालों के हाथ में है।
मई 2025 में लागू हुई नई जेल नियमावली के तहत जेलर की कमान केवल वर्दीधारी कर्मचारी को ही संभालने का प्रावधान है। इसी कारण अब क्लर्क (लिपिक) संवर्ग से हटकर कक्षपाल संवर्ग को जेलर का अस्थायी प्रभार दे दिया गया है। लगभग सभी जेलों में उच्च कक्षपालों को अस्थायी जेलर बनाया गया है। प्रशासन का तर्क है कि बल की कमी के कारण यह कदम कामकाज में बाधा न आने देने के लिए जरूरी था।
राज्य में जेलर का पद प्रोन्नति के जरिए भरा जाता है, यानी सहायक जेलर ही जेलर बनते हैं। सीधी भर्ती इस पद पर नहीं होती। लंबी अवधि से सहायक जेलर के पद रिक्त रहने के कारण कक्षपाल संवर्ग के जवानों को अस्थायी जेलर बनाया गया है। पहले राज्य की 20 जेलों में लिपिक जेलर की कमान संभाल रहे थे और तीन कंप्यूटर ऑपरेटर जेलर थे। अब ये क्लर्क केवल लिपिकीय कार्य संभाल रहे हैं।
कक्षपाल से जेलर तक का प्रोन्नति क्रम
एक कक्षपाल लगभग 25 साल में जेलर के पद का अधिकारी बनता है। प्रोन्नति का क्रम इस प्रकार है:
कक्षपाल → 5 साल में उच्च कक्षपाल
उच्च कक्षपाल → 5 साल में मुख्य उच्च कक्षपाल
मुख्य उच्च कक्षपाल → 5 साल में सहायक जेलर
सहायक जेलर → 5 साल में जेलर
झारखंड की जेलों का जिक्र
सेंट्रल जेलें: रांची (बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा), जमशेदपुर (घाघीडीह केंद्रीय कारा), हजारीबाग (लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा), पलामू, दुमका।
मंडल कारा: गिरिडीह, देवघर, गुमला, लोहरदगा, लातेहार, चाईबासा, पाकुड़, सरायकेला, चास बोकारो, तेनुघाट, सिमडेगा, गढ़वा, कोडरमा, चतरा, धनबाद, जामताड़ा, गोड्डा, साकची।