रांची न्यूज डेस्क: राज्य सरकार को रांची की एक जमीन के निबंधन पर रोक लगाना महंगा पड़ गया है। झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में सरकार की अपील खारिज करते हुए उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने यह रकम प्रबुद्ध नगर सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड को देने का निर्देश दिया है, जो इस जमीन से जुड़ा पक्ष है। खंडपीठ ने कहा कि एकलपीठ द्वारा पहले दिया गया फैसला पूरी तरह सही था और सरकार की ओर से लगाई गई अपील में कोई नया ठोस आधार नहीं था।
यह विवाद रांची के उपायुक्त द्वारा 6 नवंबर 2020 को एक जमीन को गैर हस्तांतरित घोषित कर उसके निबंधन पर रोक लगाने से शुरू हुआ था। जबकि इसी जमीन को लेकर सरकार पहले ही टाइटल सूट में हार चुकी थी, और उसकी पहली अपील 2015 में तथा दूसरी अपील 2019 में खारिज हो चुकी थी। बावजूद इसके, उपायुक्त द्वारा पुनः उस जमीन पर रोक लगाना कोर्ट को गुमराह करने जैसा माना गया।
इसके विरोध में प्रबुद्ध नगर सहकारी गृह निर्माण समिति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर एकलपीठ ने समिति के पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले के खिलाफ सरकार ने डिवीजन बेंच में एलपीए (Letters Patent Appeal) दाखिल की, लेकिन कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया और जुर्माना भी ठोका। अदालत ने स्पष्ट कहा कि बार-बार हारने के बावजूद बिना मजबूत आधार के दोबारा वही कार्रवाई करना न्यायिक व्यवस्था का दुरुपयोग है।