रांची न्यूज डेस्क: खूंटी जिले में रेत माफियाओं की गतिविधियों ने इलाके के इंफ्रास्ट्रक्चर और नदी पारिस्थितिकी पर गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। अवैध बालू उत्खनन की वजह से पहले ही दो बड़े पुल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, और अब माफियाओं की नजर रेलवे ब्रिज पर टिकी है। यह रेलवे मार्ग रांची, खूंटी और राउरकेला को जोड़ता है और इस पर बने पुल के नीचे से रोजाना बालू उठाया जा रहा है। कर्रा प्रखंड क्षेत्र के आसपास सिंडिकेट संचालित हो रहा है, जिसमें स्थानीय और रांची के माफिया शामिल बताए जा रहे हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, बालू माफिया बेखौफ होकर जंगलों के बीच से बालू निकालते हैं और रात के समय बड़े वाहनों से इसे तस्करी के लिए ले जाते हैं। कई बार स्थानीय ग्रामीणों ने पुल और पुलिया से बालू उठाव रोकने की कोशिश की, लेकिन डर की वजह से उन्हें कामयाबी नहीं मिली। इसी कारण माफियाओं का मनोबल लगातार बढ़ रहा है और बालू की तस्करी थम नहीं रही है।
क्षेत्र की मुखिया सुनीता चोचा ने बताया कि बालू माफियाओं के कारण नदियों का अस्तित्व भी खतरे में है। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि बालू तस्करों पर अंकुश लगाकर नदी और पर्यावरण की सुरक्षा की जाए। स्थानीय पुलिस और खनन विभाग को निर्देशित किया गया है कि रेलवे ब्रिज और नदियों के किनारे हो रहे अवैध उत्खनन पर सख्ती से कार्रवाई करें। एसपी मनीष टोप्पो ने बताया कि जांच के बाद बालू उठाव और परिवहन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
पिछले वर्षों में तोरपा और कुदरी क्षेत्रों में बने कई पुल अवैध उत्खनन के कारण क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। नए पुल निर्माण कार्य धीमी गति से चल रहा है, जिससे ग्रामीणों और स्थानीय यात्रियों को लगातार परेशानी हो रही है। डोड़मा और सिसई के बीच बनने वाले पुल में अभी तक केवल तीन पिलर तैयार हो पाए हैं। इलाके के लोग और प्रशासन दोनों चाहते हैं कि अवैध उत्खनन पर तुरंत रोक लगे और नए पुल निर्माण को गति दी जाए।