वाराणसी। नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती हैं। देवी कूष्माण्डा, सूर्य के अंदर रहने की शक्ति और क्षमता रखती हैं। उनके शरीर की चमक सूर्य के समान चमकदार है। माँ के इस रूप को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है।
ये हैं मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
कैसा होता हैं मां का स्वरूप:-
माता का चतुर्थ रूप शेरनी पर सवार हैं। उनके आठ हाथ हैं, दाहिने हाथों में कमंडल, धनुष, बाड़ा और कमल है और बाएं हाथों में अमृत कलश, जप माला, गदा और चक्र है।
शुभ रंग : लाल