लालकृष्ण आडवाणी ने कब लड़ा था अपना पहला लोकसभा चुनाव? 1991 में किससे हारते-हारते बचे थे?

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Posted On:Saturday, November 8, 2025

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठतम नेता और देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने आज, शनिवार 8 नवंबर को अपना 98वां जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी और देश की राजनीति के तमाम बड़े नेताओं ने उन्हें दिली बधाई दी और उनके दीर्घायु एवं उत्तम स्वास्थ्य की कामना की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आडवाणी जी को बधाई देते हुए उन्हें 'ऊंचे दृष्टिकोण और बुद्धिमत्ता से संपन्न राजनेता' बताया। पीएम मोदी ने कहा कि आडवाणी जी ने अपना पूरा जीवन "भारत की तरक्की के लिए समर्पित कर दिया।" उन्होंने देश के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा और अटल सिद्धांतों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

🏛️ बीजेपी के संस्थापक और सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष

लाल कृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति के उन चुनिंदा नेताओं में से हैं, जिन्होंने देश की राजनीतिक दिशा को गहराई से प्रभावित किया है। वह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक नेताओं में से एक हैं। बीजेपी की स्थापना से पहले, वह उसकी पूर्ववर्ती पार्टी भारतीय जनसंघ के प्रमुख नेता थे।

आडवाणी ने अपने संसदीय करियर की शुरुआत 1970 में की, जब उन्होंने पहली बार राज्यसभा का चुनाव जीता। वह 1989 तक चार बार राज्यसभा सदस्य रहे।

आडवाणी को बीजेपी को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाने में सबसे अहम योगदान देने के लिए याद किया जाता है। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर 1980 में बीजेपी की स्थापना की। वह सबसे लंबे समय तक बीजेपी के अध्यक्ष रहे। उनके संगठनात्मक कौशल और नेतृत्व में, 1984 के आम चुनाव में सिर्फ 2 सीटें जीतने वाली यह पार्टी, 1998 में 182 सीटों तक पहुंचने में सफल रही।

🌟 1991 का चर्चित मुकाबला: आडवाणी बनाम राजेश खन्ना

आडवाणी की लोकसभा की यात्रा 1989 में नई दिल्ली सीट से शुरू हुई, जहाँ उन्होंने कांग्रेस की वी. मोहिनी गिरी को हराकर शानदार जीत हासिल की।

हालांकि, 1991 का आम चुनाव उनके करियर के सबसे चर्चित मुकाबलों में से एक बन गया। उन्होंने दो सीटों—गुजरात की गांधीनगर और नई दिल्ली—से चुनाव लड़ा। नई दिल्ली सीट पर उनका मुकाबला बॉलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना से था, जो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। पूरे देश की निगाहें इस हाई-प्रोफाइल सीट पर थीं, जहाँ राजनीति के दिग्गज का मुकाबला फ़िल्मी जगत के सुपरस्टार से था। यह मुकाबला इतना रोमांचक था कि आडवाणी केवल 1589 वोटों के मामूली अंतर से जीत दर्ज कर पाए। नियम के अनुसार, दोनों सीटें जीतने के बाद उन्होंने गांधीनगर सीट को बरकरार रखा और नई दिल्ली की सीट छोड़ दी।

🇮🇳 देश के प्रमुख पदों पर रहे आसीन

आडवाणी 1989 से लेकर 2019 में संन्यास लेने तक लोकसभा के सदस्य रहे और इस दौरान उन्होंने सात बार लोकसभा की यात्रा की। उन्होंने ज्यादातर समय गुजरात की गांधीनगर सीट का प्रतिनिधित्व किया।

अपने सार्वजनिक जीवन में, उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। वह 1998 से 2004 तक देश के गृह मंत्री रहे, और 2002 से 2004 तक उन्होंने उपप्रधानमंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली।

पोखरण-2 परमाणु परीक्षण, लाहौर बस सेवा, कारगिल युद्ध, आतंकवाद निरोधक कानून (पोटा), राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की स्थापना में उनकी निर्णायक भूमिका रही है। आडवाणी अपनी राष्ट्रवादी सोच, शानदार वक्तृत्व कला, विचारों की स्पष्टता और संगठन कौशल के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने नरेंद्र मोदी, अरुण जेटली और सुषमा स्वराज जैसे नेताओं को तैयार करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।


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