बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का प्रचार मंगलवार शाम 6 बजे समाप्त हो गया, जिसके साथ ही सत्तारूढ़ NDA और विपक्षी INDIA गठबंधन के बीच चले जोरदार राजनीतिक संग्राम पर औपचारिक रूप से विराम लग गया। पहले चरण का यह प्रचार अभियान महज़ चुनाव रैलियों का जमावड़ा नहीं था, बल्कि यह वंशवादी राजनीति, आपराधिक पृष्ठभूमि, महिला वोट बैंक और 'छठी मैया' के अपमान जैसे भावनात्मक मुद्दों पर केंद्रित एक अभूतपूर्व वैचारिक युद्ध था।
स्टार प्रचारकों का अंतिम प्रहार और 'माइक्रो-वोट' अपील
चुनाव प्रचार के अंतिम दिन दिग्गजों ने मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने धुआंधार रैलियाँ कीं, जबकि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रोड शो किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल संवाद कर एक महत्वपूर्ण वोटिंग ब्लॉक पर ध्यान केंद्रित किया।
विपक्षी खेमे में, RJD नेता तेजस्वी यादव ने पूरे राज्य का तूफानी दौरा कर युवाओं को सक्रिय किया, जबकि राहुल गांधी ने भी जनसभाओं को संबोधित किया। इन रैलियों में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे 'फायरब्रांड' नेताओं ने भी तीखे हमले किए, जिससे प्रचार का तापमान चरम पर पहुँच गया।
वैचारिक टकराव: 'जंगल राज' बनाम 'बीस दिन में नौकरी'
इस चरण के प्रचार की मुख्य धुरी दो बड़े वादों और एक भावनात्मक आरोप के बीच टिकी रही:
तेजस्वी का बड़ा दाँव: RJD नेता तेजस्वी यादव ने सत्ता में आने के 20 दिनों के भीतर सरकारी नौकरी देने का कानून लाने का वादा करके युवाओं के बीच एक जबरदस्त उम्मीद जगाई। उनका यह '20 दिन का अल्टीमेटम' सीधे तौर पर NDA सरकार के 20 साल के कार्यकाल की विफलताओं पर निशाना साध रहा था।
NDA का 'जंगल राज' प्रहार: भाजपा और JD(U) ने RJD पर हमला करने के लिए एक बार फिर 'जंगल राज' के भावनात्मक लेबल का इस्तेमाल किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने व्यक्तिगत अपील करते हुए मतदाताओं को 2005 से पहले की अराजकता की याद दिलाई और लालू परिवार की वंशवादी राजनीति पर निशाना साधा।
आपराधिक राजनीति और मोकामा का 'राजनीतिक तूफान'
मोकामा सीट पर हुई दुलारचंद यादव की हत्या और JD(U) उम्मीदवार अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने चुनावी माहौल में विस्फोटक स्थिति पैदा कर दी।
जन सुराज कार्यकर्ता की हत्या: दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या किए जाने से राजनीतिक आक्रोश फैल गया।
'छोटे सरकार' की गिरफ्तारी: बाहुबली नेता अनंत सिंह की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तारी ने मोकामा को एक प्रतिष्ठा की लड़ाई में बदल दिया और एक बार फिर बिहार की राजनीति में अपराध के प्रभाव पर गंभीर बहस छेड़ दी।
ललन सिंह पर FIR: केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के एक 'विवादास्पद' बयान पर FIR दर्ज होने से NDA को कानूनी पचड़े का सामना करना पड़ा, जिसे विपक्ष ने 'अहंकार' और चुनाव आयोग के अधिकार को कमज़ोर करने का आरोप बताते हुए जमकर भुनाया।
'छठ पूजा' और 'हैलोवीन' पर धार्मिक ध्रुवीकरण
पवित्र छठ पूजा त्योहार ने भी राजनीतिक रंग ले लिया। राहुल गांधी ने यमुना के गंदे पानी पर तंज कसते हुए दिल्ली भाजपा की तैयारियों पर टिप्पणी की। इस पर पीएम मोदी ने पलटवार करते हुए इसे 'छठी मैया का अपमान' बताया और बिहारियों की भावनाओं को झकझोरने की कोशिश की।
इसी बीच, लालू प्रसाद यादव के पोते-पोतियों के साथ हैलोवीन मनाते हुए वीडियो पर भाजपा ने हमला किया, इसे भारतीय संस्कृति का मज़ाक बताया। ये घटनाएँ दिखाती हैं कि कैसे चुनाव प्रचार में भावनात्मक और सांस्कृतिक ध्रुवीकरण के मुद्दों का इस्तेमाल किया गया।
महिला वोटरों पर फोकस और 'पारिवारिक कलह' का प्रदर्शन
बिहार में निर्णायक महिला वोटिंग ब्लॉक को साधने के लिए दोनों गठबंधनों ने बड़े वादे किए। NDA ने ₹10,000 के नकद हस्तांतरण की योजना पेश की, जबकि INDIA ब्लॉक ने 'माई बहिन मान योजना' के तहत ₹30,000 देने का वादा किया। इस बीच, लालू परिवार का आंतरिक कलह भी सार्वजनिक हो गया, जब तेजस्वी यादव अपने भाई तेज प्रताप यादव के विधानसभा क्षेत्र महुआ में RJD उम्मीदवार के लिए प्रचार करने पहुँचे, जिससे पारिवारिक फूट और बढ़ी। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा, जिसमें तेजस्वी की राघोपुर और सम्राट चौधरी की तारापुर जैसी महत्वपूर्ण सीटें शामिल हैं। अब गेंद मतदाताओं के पाले में है।