वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति में बड़ा यू-टर्न लेते हुए 75 से अधिक देशों पर लगाए गए टैरिफ को अस्थायी रूप से वापस ले लिया है। बुधवार को लिए गए इस फैसले के तहत रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगा दी गई है, हालांकि यह राहत चीन को नहीं मिली है। चीन पर अब 125 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया गया है, जो पहले 104 प्रतिशत था।
चीन पर बढ़ा दवाब
यह कदम चीन की ओर से हाल ही में अमेरिका पर 84 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के जवाब में उठाया गया है। ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि चीन द्वारा उठाए गए ‘असहयोगात्मक’ कदमों के चलते अमेरिका को यह सख्त निर्णय लेना पड़ा। वहीं बाकी देशों को इस कदम से अस्थायी राहत दी गई है, जिससे अमेरिका और उन देशों के बीच नए व्यापार समझौते करने का रास्ता खुल सके।
टैरिफ वापसी की बड़ी वजहें
ट्रंप के टैरिफ लगाने के बाद अमेरिका समेत कई देशों के शेयर बाजारों में गिरावट देखी गई थी। महंगाई और मंदी जैसे हालात बनने लगे थे, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता की लहर दौड़ गई। अमेरिकी शेयर बाजार में भले ही 3.1 लाख करोड़ डॉलर का इजाफा हुआ, लेकिन वैश्विक स्तर पर बाजार में 10 लाख करोड़ डॉलर की गिरावट आई थी। यह अमेरिका के लिए दीर्घकालिक रूप से नुकसानदायक हो सकता था।
इसके अलावा एलन मस्क जैसे दिग्गज उद्योगपतियों ने भी ट्रंप को चेताया था कि टैरिफ की नीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए घातक हो सकती है। ट्रंप की अपनी ही पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता भी इस कदम के खिलाफ थे, जिन्होंने इसे असंवैधानिक और खतरनाक बताया था।
क्रूड ऑयल से लेकर बेरोजगारी तक
टैरिफ लागू होने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट आई थी, जिससे अमेरिका के ऊर्जा बाजार को झटका लगा। साथ ही अमेरिका में महंगाई और बेरोजगारी दर बढ़ने लगी थी। प्रमुख बैंक और आर्थिक विश्लेषक मंदी की चेतावनी दे रहे थे। बॉन्ड मार्केट में भी भारी उथल-पुथल मच गई थी। इन सभी आर्थिक दबावों के चलते ट्रंप प्रशासन को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना पड़ा।
अमेरिकी कंपनियों पर असर
चीन से प्रोडक्ट्स मंगाने पर टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी कंपनियों की लागत बढ़ने लगी थी। चूंकि अधिकांश देशों पर टैरिफ पहले ही लागू थे, इसलिए कंपनियों को विकल्प नहीं मिल रहे थे। इसका सीधा असर प्रोडक्शन और सप्लाई चेन पर पड़ा, जिससे बाजार में असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का यह यू-टर्न एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है, जिससे अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मोर्चे पर राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि चीन पर सख्ती जारी रहने के संकेत मिल रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नीति बदलाव अमेरिका की वैश्विक स्थिति को कैसे प्रभावित करता है।