इजरायल या अमेरिका? ईरान न्यूक्लियर जिद नहीं छोड़ता तो कौन करेगा हमला, पता चल गया

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Posted On:Thursday, April 10, 2025

अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनाव एक बार फिर अपने चरम पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि तेहरान अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को नहीं रोकता है, तो संभावित सैन्य कार्रवाई की अगुवाई इजरायल करेगा। ट्रंप की इस कड़ी चेतावनी से पश्चिम एशिया में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

ट्रंप का कड़ा रुख

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने बयान में स्पष्ट कहा, “अगर इसके लिए सेना की आवश्यकता होगी तो हम वह भी करेंगे। इसमें स्पष्ट रूप से इजरायल बहुत अधिक शामिल होगा। वो इसके नेता होंगे। लेकिन, कोई भी हमारा नेतृत्व नहीं करता है और हम वही करते हैं जो हम करना चाहते हैं।” इस बयान से साफ है कि अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप से पीछे नहीं हटेगा यदि ईरान अपने रुख में बदलाव नहीं लाता है।

वार्ता से पहले तीखा संदेश

यह बयान उस वक्त आया है जब अमेरिका और ईरान के अधिकारियों के बीच इस सप्ताह के अंत में ओमान में एक अहम वार्ता प्रस्तावित है। ट्रंप की टिप्पणी को इस वार्ता से पहले एक परोक्ष दबाव के तौर पर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि ट्रंप ने पहले कहा था कि यह बातचीत 'प्रत्यक्ष' होगी, जबकि ईरान ने इसे 'अप्रत्यक्ष' बातचीत करार दिया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों पक्षों के बीच अब भी गहरा अविश्वास बना हुआ है।

अमेरिका की चिंता

वाशिंगटन को इस बात की गहरी चिंता है कि ईरान अब पहले से कहीं अधिक प्रभावी और खतरनाक परमाणु हथियार की ओर बढ़ चुका है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने यूरेनियम संवर्धन में उल्लेखनीय प्रगति की है, जो परमाणु हथियार बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। इसी के चलते ट्रंप ने ईरान को सीधा संदेश देते हुए कहा है कि यदि वार्ता विफल होती है, तो ईरान 'बड़े खतरे' में पड़ जाएगा।

समयसीमा पर ट्रंप का रुख

हालांकि ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका के पास इस वार्ता के सफल होने के लिए कोई "निश्चित समयसीमा" नहीं है। उन्होंने साफ किया कि अमेरिका बिना किसी दबाव के अपने हितों को प्राथमिकता देगा और उसी के आधार पर फैसले लिए जाएंगे। यह बयान इस ओर भी इशारा करता है कि अमेरिका ईरान के साथ वार्ता की संभावनाओं को तो खुला रखना चाहता है, लेकिन दबाव की रणनीति को भी छोड़ना नहीं चाहता।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान ना सिर्फ ईरान के लिए चेतावनी है, बल्कि अमेरिका के पारंपरिक सहयोगी इजरायल के सैन्य समर्थन की भी पुष्टि करता है। ऐसे में यह देखना बेहद महत्वपूर्ण होगा कि ओमान में होने वाली आगामी वार्ता किस दिशा में जाती है। यदि बातचीत विफल होती है, तो पश्चिम एशिया में एक नया सैन्य संकट खड़ा हो सकता है, जो वैश्विक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।


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