इजरायल और ईरान के बीच जारी जंग ने पूरी दुनिया की निगाहें इस क्षेत्र की ओर मोड़ दी हैं। इस भीषण संघर्ष के बीच करीब 36,000 भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं, जिनमें लगभग 1,500 छात्र मेडिकल और अन्य पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत हैं। ये छात्र ईरान की विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन हालात इतने खराब हो गए हैं कि उनकी सुरक्षा और जीवन खतरे में है। इस लेख में हम उन भारतीय छात्रों की स्थिति, उनकी मुश्किलों और सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
36,000 भारतीय ईरान में फंसे
इजरायल और ईरान के बीच युद्ध के कारण ईरान में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल बन गया है। देश में लगभग 36,000 भारतीय हैं, जिनमें 1,500 से अधिक छात्र हैं। अधिकांश छात्र मेडिकल कोर्स कर रहे हैं और उनका मुख्यालय तेहरान समेत अन्य बड़े शहरों में है। जंग के कारण वहां की स्थिति भयावह हो गई है। लगातार मिसाइल हमले और बमबारी के चलते भारतीय छात्र बेसमेंट और सुरक्षित स्थानों में छिपे हुए हैं, और वे किसी भी समय अचानक हमलों से घबराए हुए हैं।
शाहिद बेहेश्टी यूनिवर्सिटी का अनुभव
तेहरान स्थित शाहिद बेहेश्टी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले इम्तिसाल मोहिदीन, जो MBBS के तीसरे साल के छात्र हैं, ने अपनी और अन्य छात्रों की स्थिति का जिक्र करते हुए बताया कि शुक्रवार को सुबह लगभग 2:30 बजे जोरदार धमाकों से वे जाग गए थे। वे और उनके साथ रहने वाले छात्र अपने अपार्टमेंट के बेसमेंट में सुरक्षित जगह तलाश कर छिप गए। इम्तिसाल ने कहा, “हम तीन दिन से लगातार नींद से वंचित हैं, हर बार तेज धमाके की आवाज सुनकर डर के मारे बेसमेंट की तरफ भागते हैं।”
उनका कहना है कि इस यूनिवर्सिटी में लगभग 350 भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं, जो इस समय बहुत ही कठिन परिस्थितियों में जी रहे हैं। बमबारी की वजह से वहां की क्लासेज भी बंद कर दी गई हैं और छात्र पढ़ाई से दूर होकर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
भारतीय छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंता
विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास लगातार इन छात्रों से संपर्क बनाए हुए हैं। छात्रों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं ताकि वे तत्काल मदद मांग सकें। लेकिन जंग की वजह से छात्रों में गहरा डर और असहजता बनी हुई है। वे खुद को बहुत असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और सरकार से अपील कर रहे हैं कि जल्द से जल्द उन्हें सुरक्षित निकालने की व्यवस्था की जाए।
छात्रों का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर जंग में फंसे रहना नहीं चाहते। कई छात्र अपने परिवारों से संपर्क कर मदद की गुहार लगा रहे हैं। वे दिन-रात डर के साए में जी रहे हैं और किसी भी पल हुई किसी अप्रत्याशित घटना से घबराए हुए हैं।
ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या का प्रभाव
इजरायल के हमलों में ईरान के तीन परमाणु वैज्ञानिकों की मौत ने तनाव को और बढ़ा दिया है। यह घटना भारतीय छात्रों के लिए और चिंता का विषय है क्योंकि इससे युद्ध की तीव्रता में वृद्धि हुई है। शाहिद बेहेश्टी यूनिवर्सिटी के आसपास के इलाकों में भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, लेकिन सुरक्षा की व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावी साबित नहीं हो पा रही है।
भारत सरकार के कदम और कोशिशें
भारत सरकार इस संकट को गंभीरता से ले रही है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने उन सभी फंसे हुए नागरिकों की जानकारी एकत्रित करना शुरू कर दिया है। इजरान में मौजूद भारतीय दूतावास ने विशेष हेल्पलाइन और आपातकालीन संपर्क नंबर जारी किए हैं, ताकि छात्र और अन्य नागरिक मदद मांग सकें। साथ ही भारत सरकार कई देशों के साथ संपर्क में है ताकि फंसे हुए भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए संयुक्त प्रयास किए जा सकें।
हालांकि, युद्ध की जटिल परिस्थितियों के कारण भारत को तत्काल प्रभावी राहत कार्य करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सरकार लगातार यह आश्वासन दे रही है कि वह हर संभव प्रयास करेगी ताकि भारतीय नागरिक सुरक्षित वापस भारत लौट सकें।
भविष्य की चुनौतियां और समाधान की उम्मीदें
जंग के इस माहौल में फंसे हुए भारतीय छात्रों और नागरिकों के लिए सुरक्षित निकासी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत सरकार को तुरंत प्रभावी योजना बनानी होगी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
इसके अलावा, उन छात्रों के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता भी जरूरी है जो लंबे समय से भय, तनाव और अनिश्चितता में जी रहे हैं। विश्वविद्यालयों और भारत सरकार को मिलकर ऑनलाइन काउंसलिंग और सपोर्ट सिस्टम तैयार करना चाहिए, ताकि वे मानसिक रूप से भी मजबूत रह सकें।
निष्कर्ष
इजरायल और ईरान के बीच जारी जंग में फंसे भारतीय छात्रों और नागरिकों की स्थिति चिंताजनक है। उन्हें लगातार मिसाइलों और बमबारी के बीच जीना पड़ रहा है, जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में है। भारत सरकार ने राहत कार्य शुरू कर दिए हैं, लेकिन युद्ध की भयंकरता के कारण यह प्रक्रिया धीमी है। जरूरत है कि वैश्विक समुदाय भी इस मानव संकट को समझे और जल्द से जल्द शांतिपूर्ण समाधान के लिए पहल करे ताकि हजारों भारतीय सुरक्षित अपने घर लौट सकें।
इस कठिन समय में, छात्रों और उनके परिवारों को धैर्य बनाए रखना होगा और सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। आशा की जानी चाहिए कि जल्द ही यह संघर्ष खत्म होगा और सभी भारतीय सुरक्षित अपने परिवारों के पास लौट पाएंगे।