रांची न्यूज डेस्क: नीट 2025 का रिजल्ट आने के बाद अब छात्र-छात्राएं अपने पसंदीदा मेडिकल कॉलेज की तलाश में लग गए हैं। सभी की ख्वाहिश होती है कि उन्हें किसी अच्छे सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिले, लेकिन हर किसी की रैंक उतनी अच्छी नहीं आ पाती। ऐसे में निराश होने की जरूरत नहीं है। रांची का राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) एक बेहतरीन विकल्प बनकर सामने आता है, जहां कम रैंक और कम बजट में भी एडमिशन मिल सकता है। यहां की कटऑफ लगभग 4000 से 5000 के बीच रहती है।
रिम्स की सबसे बड़ी खासियत इसकी बेहद कम फीस है। MBBS कोर्स के लिए सालाना फीस सिर्फ 27,000 रुपये है, जो देश के अन्य सरकारी कॉलेजों के मुकाबले काफी कम है। यानी अगर आपकी रैंक थोड़ी पीछे रह भी गई है, फिर भी अगर आप कम बजट में अच्छे सरकारी कॉलेज की तलाश में हैं, तो रिम्स एक दमदार विकल्प हो सकता है। हालांकि, एडमिशन से पहले कुछ ज़रूरी बातों को जानना जरूरी है।
एडमिशन एक्सपर्ट एसएस सिंह के मुताबिक, नीट में जनरल कैटेगरी के छात्रों को अगर 4800 से 10000 के बीच रैंक मिलती है, तो रिम्स में सीट मिलने की उम्मीद रहती है। हालांकि कॉलेज की 85% सीटें सिर्फ झारखंड स्टेट डोमिसाइल वालों के लिए आरक्षित हैं। वहीं, बाकी 15% सीटें ऑल इंडिया कोटे के तहत होती हैं, जिन पर देशभर के छात्र अप्लाई कर सकते हैं। ओबीसी वर्ग के छात्रों को करीब 20,000 तक की रैंक लानी होती है, जबकि एससी/एसटी छात्रों को 56,000 तक की रैंक पर भी एडमिशन मिल जाता है, लेकिन हर साल कटऑफ बदलती रहती है, इसलिए बेहतर रैंक लाना ही सुरक्षित होता है।
रिम्स से पढ़कर निकले कई डॉक्टर्स आज झारखंड के सबसे जाने-माने नामों में शुमार हैं। हाल ही में दिवंगत हुईं डॉ. शोभा चक्रवर्ती, जो झारखंड की जानी-मानी डॉक्टर थीं, उन्होंने भी यहीं से पढ़ाई की थी। मौजूदा समय में रांची की लोकप्रिय स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. करुणा शाहदेव और प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. उमेश प्रसाद तथा न्यूरोसर्जन डॉ. सत्येंद्र कुमार भी रिम्स के पूर्व छात्र हैं। नीट क्लियर करने के बाद काउंसलिंग के जरिए एडमिशन होता है और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी की जाती है। यहां हॉस्टल की सुविधा भी है, जिससे यह संस्थान सस्ती और गुणवत्तापूर्ण मेडिकल शिक्षा का एक मजबूत विकल्प बन जाता है।