राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने उत्तराखंड दौरे के तीसरे दिन आज (4 नवंबर 2025) नैनीताल के प्रसिद्ध आध्यात्मिक और शैक्षिक केंद्रों का दौरा किया। उन्होंने सबसे पहले ऐतिहासिक कैंची धाम पहुंचकर नींब करौरी महाराज के दर्शन किए और पूजा-अर्चना की। इसके उपरांत, राष्ट्रपति ने कुमाऊं विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह (Convocation Ceremony) में भाग लिया, जहां उन्होंने उत्तराखंड की विरासत और देश के लिए इसके योगदान की सराहना की।
कैंची धाम में आध्यात्मिक उपस्थिति
अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुबह नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित कैंची धाम आश्रम का दौरा किया। यह धाम विश्वभर में अपने संस्थापक नींब करौरी महाराज (जिन्हें 'महाराज-जी' के नाम से भी जाना जाता है) के लिए प्रसिद्ध है, जिनके अनुयायियों में स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग जैसी वैश्विक हस्तियां शामिल रही हैं। राष्ट्रपति ने धाम में पूजा-अर्चना की और कुछ समय ध्यान में बिताया। राष्ट्रपति के दौरे के मद्देनजर, कैंची धाम और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। इससे पहले, राष्ट्रपति ने अपने दौरे की शुरुआत नयना देवी मंदिर में राष्ट्र की शांति के लिए प्रार्थना के साथ की थी।
ज्ञान और संस्कृति का केंद्र उत्तराखंड
कैंची धाम के दर्शन के बाद, राष्ट्रपति मुर्मू ने कुमाऊं विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। समारोह को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्रों और शोधार्थियों को बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में उत्तराखंड के महत्व को रेखांकित किया: "उत्तराखंड सदियों से ज्ञान और संस्कृति का केंद्र रहा है। यह देवभूमि न केवल आध्यात्मिक शांति का स्रोत है, बल्कि नदियों (जैसे गंगा और यमुना) और वनों की अकूत संपदा से भी संपन्न है। यह धरती ही ज्ञान की गंगा को प्रवाहित करती है।" राष्ट्रपति ने पदक प्राप्त करने वाले सभी उपाधि धारकों को बधाई दी और उन्हें राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
वीरों की भूमि और देवभूमि को नमन
अपने संबोधन के दौरान, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड के लोगों के देश की सेवा में दिए गए असाधारण योगदान की सराहना की। उन्होंने उत्तराखंड की धरती को 'वीरों की भूमि' कहकर नमन किया। स्वाधीनता संग्राम: राष्ट्रपति ने याद किया कि कैसे उत्तराखंड के अनेक स्वाधीनता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया। देश की रक्षा: उन्होंने कहा कि देवभूमि के लोग देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने में कभी पीछे नहीं हटे हैं, और सुरक्षा बलों में उत्तराखंड के युवाओं का योगदान अतुलनीय है।
इससे पहले उत्तराखंड विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान, राष्ट्रपति ने राज्य आंदोलनकारियों के संघर्ष का भी जिक्र किया था और उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू की गई समान नागरिक संहिता (UCC) की सराहना की थी, जिसे उन्होंने 'संविधान की भावना के अनुरूप' बताया था। राष्ट्रपति मुर्मू का यह दौरा उत्तराखंड की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामरिक महत्ता को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने वाला रहा। आज शाम उनके दौरे का समापन होने की उम्मीद है।