कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पिछले हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर चुनाव आयोग (EC) पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। पार्टी ने इस खुलासे को 'H-Files' नाम दिया, जिसे प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले सोशल मीडिया पर 'हाइड्रोजन बम लोडिंग' कैप्शन के साथ प्रचारित किया गया था। राहुल गांधी ने दावा किया है कि हरियाणा में राज्य स्तर पर वोटर्स डेटा में हेराफेरी कर चुनाव परिणाम को प्रभावित किया गया। राहुल गांधी ने कहा कि यह धांधली किसी व्यक्तिगत निर्वाचन क्षेत्र तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह "पूरे राज्य में चोरी" थी, जिसका शक उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी है।
LIVE: Special press briefing by LoP Shri @RahulGandhi | Vote Chori - The H Files | AICC HQ, New Delhi. https://t.co/at2SahEnBt
— Congress (@INCIndia) November 5, 2025
'H-Files' का केंद्रीय आरोप: 25 लाख वोटों का अपहरण
राहुल गांधी ने अपनी बात की शुरुआत करते हुए कहा कि कांग्रेस उम्मीदवारों की ओर से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि हरियाणा चुनाव में "कुछ गड़बड़ है।" उनका यह शक तब और गहरा गया जब एग्जिट पोल के नतीजे अचानक पलट गए, जैसा कि पार्टी ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में भी महसूस किया था।
संदेह का आधार: उन्होंने कहा, "सभी (एग्जिट) पोल कांग्रेस की जीत (हरियाणा में) की ओर इशारा कर रहे थे... दूसरी बात जो हमारे लिए आश्चर्यजनक थी, वह यह थी कि हरियाणा के चुनावी इतिहास में पहली बार डाक से वोटिंग वास्तविक मतदान से अलग थी... ऐसा हरियाणा में पहले कभी नहीं हुआ था।"
चौंकाने वाला दावा: राहुल गांधी ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार 'H-Files' में दर्ज विवरण देखे, तो उन्हें यकीन नहीं हुआ और उन्होंने टीम को कई बार क्रॉस-चेक करने के लिए कहा। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग के माध्यम से हुई धांधली से कुल 25 लाख वोटों की चोरी हुई।
डेटा में विसंगतियाँ: डिलीट किए गए और 'थोक मतदाता'
राहुल गांधी ने अपने आरोपों को पुष्ट करने के लिए मतदाता सूची के डेटा में पाई गई दो प्रमुख विसंगतियों को उजागर किया:
वोटर डिलीशन: उन्होंने दावा किया कि हरियाणा चुनाव से ठीक पहले 3.5 लाख मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से अवैध रूप से डिलीट कर दिया गया था। यह दावा उन मतदाताओं के लोकतांत्रिक अधिकार के हनन को दर्शाता है।
थोक पंजीकरण (Bulk Registration): राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें कई ऐसे पते मिले हैं जहां एक ही जगह पर 100 से ज्यादा मतदाताओं का नाम दर्ज है। यह स्थिति 'थोक मतदाताओं' (Bulk Voters) की श्रेणी में आती है, जो मतदाता सूची के नियमों का उल्लंघन है और वोटों की हेराफेरी का सबसे बड़ा संकेत माना जाता है।
इन दोनों बिंदुओं का उपयोग यह साबित करने के लिए किया गया कि यह हेराफेरी व्यक्तिगत गलती नहीं, बल्कि राज्य-स्तरीय संगठित प्रयास का हिस्सा था।
सीएम के वीडियो और 'व्यवस्था' पर सवाल
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी का एक वीडियो भी दिखाया। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के दो दिन बाद ही सीएम ने एक बाइट दी, जिसमें उन्होंने किसी 'व्यवस्था' का जिक्र किया था। राहुल गांधी का निहितार्थ था कि इस 'व्यवस्था' का सीधा संबंध वोटों की हेराफेरी से था, जिसके बाद अप्रत्याशित रूप से चुनावी नतीजे आए और कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी कर रहे एग्जिट पोल गलत साबित हुए। यह आरोप मुख्यमंत्री कार्यालय और चुनाव प्रक्रिया दोनों की निष्पक्षता पर सीधा संदेह पैदा करता है।
चुनावी प्रक्रिया पर बड़ा संकट
'H-Files' का यह खुलासा भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करता है। चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर 'वोट चोरी' का सीधा आरोप लगना देश की चुनावी पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े करता है। हालांकि, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को पहले ही निराधार बता दिया है और कांग्रेस के बूथ-स्तरीय एजेंटों द्वारा समय पर आपत्ति न उठाने पर सवाल उठाए हैं। यह मामला अब केवल चुनावी हार-जीत तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह लोकतंत्र की अखंडता और संस्थागत विश्वास के संकट में बदल गया है, जिसका राष्ट्रीय राजनीति पर दूरगामी प्रभाव पड़ना तय है।