पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अमरिंदर सिंह ने हाल ही में पार्टी की निर्णय लेने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के लगभग सभी महत्वपूर्ण निर्णय दिल्ली से केंद्रीय नेतृत्व द्वारा लिए जाते हैं, और इस प्रक्रिया में उनकी या अन्य ज़मीनी नेताओं की सलाह नहीं ली जाती है।
भाजपा पर केंद्रीकृत निर्णय लेने का आरोप
अमरिंदर सिंह ने अपने 60 साल के राजनीतिक अनुभव का हवाला देते हुए निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, "भाजपा मुझसे सलाह नहीं ले रही है। मुझे 60 साल का राजनीतिक अनुभव है, लेकिन मैं खुद को उन पर थोप नहीं सकता।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा अपने फैसलों को सार्वजनिक नहीं करती है, और सभी निर्णय स्थानीय नेताओं से परामर्श किए बिना दिल्ली में लिए जाते हैं।
कांग्रेस हाईकमान था अधिक लोकतांत्रिक
भाजपा की शीर्ष नेतृत्व की तुलना करते हुए, अमरिंदर सिंह ने अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस के उच्च कमान को अधिक सुलभ और लोकतांत्रिक बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने नेताओं से सलाह लेती थी और उसका सिस्टम ज़्यादा लोकतांत्रिक था।
हालांकि, इन आलोचनाओं के बावजूद, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का पंजाब के लिए "विशेष स्नेह है" और वह राज्य के विकास और ल्याण के लिए कुछ भी करेंगे।
कांग्रेस में वापसी से स्पष्ट इनकार
खुद के कांग्रेस में वापस लौटने की अटकलों पर पूर्व मुख्यमंत्री ने सीधा मना कर दिया। उन्होंने कहा, "अब कांग्रेस में वापस जाऊं, यह नहीं हो सकता है।"
उन्होंने बताया कि जिस तरह से उन्हें सितंबर 2021 में मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था, उससे वह अब भी आहत हैं। इसलिए, अब कांग्रेस में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता है।
हालांकि, भावनात्मक रूप से उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी व्यक्तिगत रूप से उनसे किसी तरह की मदद मांगेंगी, तो वह हमेशा मदद करेंगे, लेकिन राजनीतिक तौर पर कोई मदद नहीं कर पाएंगे।
सिद्धू और पंजाब की राजनीति पर राय
जब नवजोत कौर सिद्धू के उस बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई कि पंजाब में मुख्यमंत्री बनने के लिए 500 करोड़ रुपये का सूटकेस दिया जाता है, तो अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी को 'अस्थिर' करार दिया। उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू को राजनीति छोड़कर अपनी पुरानी पहचान यानी क्रिकेट कमेंट्री पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।
पंजाब में भाजपा की स्थिति पर सिंह ने महत्वपूर्ण राय दी कि भाजपा पंजाब में तभी मजबूत हो सकती है, जब वह अपने पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (SAD) के साथ एक बार फिर हाथ मिलाए।
अमरिंदर सिंह ने सितंबर 2021 में कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद अपनी नई पार्टी बनाई थी, जिसका बाद में भाजपा में विलय कर दिया गया था। उनके ताज़ा बयान से यह स्पष्ट है कि भाजपा के भीतर उनका राजनीतिक कद और निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी अभी भी सवालों के घेरे में है।