दुनिया के तमाम खूबसूरत रिश्तों के बीच एक रिश्ता भाई-बहन का होता है। एक विश्वास एक भरोसे का रिश्ता थोड़ी मासूमियत भरी नोकझोंक खट्टी मीठी यादों का सफर और एक बहन का भाई के प्रति प्रेम और एक अटूट विश्वास होता है इसी प्रेम और विश्वास से भरे रिश्ते को मनाने का दिन है भाई -दूज जिसे भैया -दूज और यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
शुभ मुहूर्त%3A
भाई दूज का त्योहार इस वर्ष 6 नंवबर शनिवार के दिन मनाया जायेगा। भाई दूज का त्योहार शुभ मुहूर्त में मनाने से लाभ होता, जबकि राहु काल में भाई को तिलक करने से बचना चाहिए। भाई दूज की द्वितिया तिथि 5 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लगेगी, जो 6 नवंबर को शाम 7 बजकर 44 मिनट तक बनी रहेगी। इस दिन भाईयों को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से लेकर 3 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।यानि तिलक करने का शुभ मुहूर्त 2 घंटा 11 मिनट तक रहेगा।
मनाने की विधि%3A
बहनें सुबह स्नान करने के बाद अपने ईष्ट देव, भगवान विष्णु या गणेश की पूजा करें।इस दिन भाई के हाथों में सिंदूर और चावल का लेप लगाने के बाद उस पर पान के पांच पत्ते, सुपारी और चांदी का सिक्का रखती हैं।फिर उसके हाथ पर कलावा बांधकर जल उडेलते हुए भाई की दीर्घायु के लिए मंत्र पढ़ती हैं,जैसे 'गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजी कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े।' इस दिन शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है।
माना जाता है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा। कहीं-कहीं बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर कलाई पर कलावा बांधती हैं। फिर वह भाई का माखन-मिश्री या मिठाई से मुंह मीठा करवाती हैं और अंत में उसकी आरती उतारती हैं।इस दिन बहुत से भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन भी करते हैं ,और उन्हें कुछ उपहार भी देते हैं।यह उत्सव रक्षाबंधन के त्यौहार के समान ही है । देश के दक्षिणी भाग में इस दिन को यम द्वितीया के रूप में भी मनाया जाता है।
बहनों की थाली में यह चीजें जरूर होनी चाहिए%3A
भाई दूज पर भाई की आरती उतारते वक्त बहन की थाली में सिंदूर, फूल, चावल के दाने, सुपारी, पान का पत्ता, चांदी का सिक्का, नारियल, फूल माला, मिठाई, कलावा, दूब घास और केला जरूर होना चाहिए।इन सभी चीजों के बिना भाई दूज का त्योहार अधूरा माना जाता है।
मनाने के पीछे की कथा%3A
भाई दूज का मनाने के पीछे की कहानी बहुत पुरानी है ।जो मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी हुई है । यमराज हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर जाते हैं। यमुना अपने भाई का तिलक लगाकर आदर भाव से भोजन कराती हैं। जिसके कारण यह दिन हर वर्ष भैया दूज के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
इस कथा में एक कड़ी यह भी है कि एक बार यमराज को अपने मृत्यु का भय सता रहा था। और वह बहुत व्याकुल हो उठे जब यमुना ने अपने भाई की यह दशा देखी तो उनकी लम्बी आयु के लिए व्रत रखीं व भाई की आरती व तिलक की तब जा कर यमराज के मन से मृत्यु का भय समाप्त हुआ । तभी से वह दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।
रिपोर्ट%3Aसुदीप राज